डोनाल्ड ट्रंप हमेशा से ही नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) जीतने की आकांक्षा में रहे हैं। 2025 में उनके नामांकन की चर्चाएँ हों, प्रस्तावित Frieden प्रयासों की दलीलें हों, लेकिन अंत में ट्रंप को यह पुरस्कार नहीं दिया गया। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि ट्रंप को नोबेल क्यों नहीं मिला, किन कारणों से विवाद उत्पन्न हुआ, और आगे संभावनाएँ क्या हैं।
1. ट्रंप का नोबेल पुरस्कार का सपना
- ट्रंप ने कई मौकों पर कहा कि उन्होंने विश्व के कई संघर्षों को समाप्त किया है, और उन्हें यह पुरस्कार मिलने चाहिए।
- प्रेस रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने अपने गाज़ा शांति योजना (20-point plan) को भी नोबेल हासिल करने की दलील के रूप में प्रस्तुत किया।
- ट्रंप समर्थकों ने उन्हें नामांकित करने के लिए कई नेताओं को प्रेरित किया, जैसे कि माल्टा के विदेश मंत्री ने उन्हें 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया।
2. 2025 नोबेल शांति पुरस्कार — परिणाम और विजेता
- 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता María Corina Machado को दिया गया।
- नोबेल समिति ने उन्हें यह पुरस्कार लोकतंत्र, मानवाधिकार और देश में शांतिपूर्ण संक्रमण के लिए उनके संघर्ष के लिए दिया।
- ट्रंप समर्थकों और व्हाइट हाउस ने इस निर्णय की तीखी आलोचना की, यह कहते हुए कि समिति ने “राजनीति को शांति पर तरजीह दी”।
3. क्यों ट्रंप को नहीं चुना गया? (प्रमुख कारण)
a) नोबेल समिति की मापदंड
नोबेल शांति पुरस्कार का लक्ष्य वह व्यक्ति अनुमोदित करना है जिसने “राष्ट्रों के बीच मित्रता बढ़ाई हो, स्थायी शांति के लिए प्रयास किया हो, हथियारों को कम करने या विरोधी शक्तियों के बीच वार्ता बढ़ाई हो।”
शांति की दिशा में दीर्घकालीन योगदान और सत्यापन योग्य उपलब्धियाँ अधिक महत्व रखती हैं।
b) ट्रंप के दावों की जांच
- ट्रंप का दावा है कि उन्होंने “सात युद्ध” समाप्त किए। लेकिन पत्रकारों और विश्लेषकों ने इस दावे को विवादास्पद बताया है, और कहा है कि ये दावे पूरी तरह प्रमाणित नहीं हैं।
- कई घटनाएँ और निर्णय विवादों में रहे — जैसे युद्ध नीतियाँ, मानवीय हक़ का मुद्दा, सार्वजनिक आलोचनाएँ — और ये सब समिति की विचार प्रक्रिया पर असर डाल सकते हैं।
c) राजनीतिक दबाव और आलोचनाएँ
- व्हाइट हाउस ने कहा कि नोबेल समिति ने “राजनीति को प्राथमिकता दी।”
- ट्रंप समर्थकों ने कहा कि समिति पक्षपाती है।
- लेकिन समिति के संयोजक ने कहा कि निर्णय बाहरी दबाव से प्रभावित नहीं होते और चयन विधि स्वतंत्र है।
d) नामांकन और समय सीमा
- नामांकन की समय सीमा 31 जनवरी होती है। ट्रंप के समर्थकों ने समय रहते नामांकन किया, लेकिन नामांकन और प्रस्ताव पर विचार समिति द्वारा किया जाता है।
- ट्रंप अभी भी भविष्य के वर्ष के लिए नामांकित किए जा सकते हैं।
4. ट्रंप की प्रतिक्रिया और सार्वजनिक बहस
- ट्रंप ने कहा कि “मचाडो ने मुझपर आधारित यह पुरस्कार स्वीकार किया”।
- व्हाइट हाउस का कहना है कि ट्रंप अभी भी शांति सौदा करेगा और जीवन बचाएगा — और पुरस्कार से हतोत्साहित नहीं होंगे।
- आलोचकों ने कहा कि ट्रंप की विवादित नीतियों और भाषा — जैसे आक्रामक बयानबाज़ी, मानवाधिकारों पर सवाल — उन्हें पुरस्कार पाने लायक नहीं बनाते।
5. आगे संभावनाएँ — क्या ट्रंप अगले वर्ष पुरस्कार पा सकते हैं?
- ट्रंप का नामांकन वर्ष दर वर्ष हो सकता है, यदि समर्थक उन्हें प्रस्तावित करते रहें।
- यदि वे भविष्य में स्थिर, विश्वशांति संबंधी योगदान करें — तो नोबेल समिति के निर्णय को प्रभावित किया जा सकता है।
- लेकिन उन्हें उन मामलों में मजबूत प्रमाण देना होगा — निष्पक्ष मध्यस्थता, लंबे समय की शांति पहलें, और विवादों से दूर रहने वाला रिकॉर्ड।
निष्कर्ष
ट्रंप की नोबेल की दौड़ 2025 में सफल नहीं हो पाई। उनके समर्थकों ने कहा कि यह राजनीतिक निर्णय था, जबकि आलोचकों ने कहा कि पुरस्कार शांति की दिशा में सुस्पष्ट और प्रमाणित योगदान देने वाले व्यक्तियों को मिलना चाहिए। María Corina Machado को पुरस्कार देना समिति की मान्यता है कि लोकतंत्र और मानवाधिकारों का संघर्ष भी शांति का रूप हो सकता है।