भारत त्योहारों की भूमि है और हर त्योहार अपने साथ एक खास संदेश लेकर आता है। इन्हीं में से एक है दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है और हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।

दशहरे का महत्व
- रामायण प्रसंग – इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर माता सीता को मुक्त कराया था।
- मां दुर्गा की विजय – शास्त्रों में यह भी वर्णित है कि मां दुर्गा ने इसी दिन महिषासुर का वध कर देवताओं को संकट से मुक्त कराया।
- नए आरंभ का दिन – दशहरे को शुभ कार्य शुरू करने, नया व्यवसाय आरंभ करने और शस्त्र पूजन का दिन माना जाता है।
परंपराएँ और उत्सव
- इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं।
- कई स्थानों पर रामलीला का आयोजन होता है, जिसमें भगवान राम की लीला का मंचन किया जाता है।
- लोग अपने घरों में शस्त्र और औजारों की पूजा करते हैं और विजय की कामना करते हैं।
आधुनिक युग में दशहरा
आज के समय में दशहरा केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव भी बन गया है। बड़े-बड़े मैदानों में मेले आयोजित होते हैं, लोग परिवार के साथ घूमने जाते हैं और मेलजोल बढ़ता है।
दशहरे से मिलने वाला संदेश
- सत्य और धर्म की हमेशा विजय होती है।
- अहंकार और अन्याय का अंत निश्चित है।
- जीवन में कठिनाइयों पर विजय पाने के लिए साहस और धैर्य जरूरी है।
निष्कर्ष
दशहरा 2025 हमें यह याद दिलाता है कि चाहे बुराई कितनी ही शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः जीत अच्छाई की ही होती है। इस वर्ष का पर्व हमें जीवन में सकारात्मकता, नैतिकता और सद्भाव को अपनाने का संदेश देता है।